Monday, February 7, 2011

पत्रकारिता पर मंडरा रही है काली छायाः श्याम खोसला

भोपाल, 7 फरवरी। ‘पत्रकारिता मिशन से प्रोफेशन बनीं, इसमें कोई हर्ज़ नहीं था लेकिन हमने अब इसको व्यापार बना दिया है। ऐसे में लग रहा है जैसे हमने अपनी आत्मा ही बेच दी है। राष्ट्रीय सुरक्षा और सरोकारों से जुड़े मामलों में कुछ पत्रकारों के नाम सामने आए हैं, लेकिन इस पर भारतीय प्रेस परिषद और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की चुप्पी चिंताजनक है। कहीं ऐसा न हो कि यह शांति हमें बहरा बना दे।‘
ये विचार वरिष्ठ पत्रकार और इंडियन मीडिया सेंटर के निदेशक श्याम खोसला ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में ‘सम्पादक की सत्ता एवं महत्ता’ विषय पर केंद्रित व्याख्यान में व्यक्त किये। उन्होंने ‘सम्पादक’ संस्था के दिनोंदिन हो रहे अवमूल्यन पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि आज के हालात को देखते हुए तो ऐसा लग रहा है जैसे बाड़ ही खेत को खा रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया का कार्य स्वस्थ आलोचना करना और निर्भीक होकर गलत कार्यों को सामने लाना है। ऐसे समाचार पत्र और चैनल उंगलियों पर गिने जा सकते हैं जो सही कार्य कर रहे हैं।
श्री खोसला ने इस बात पर चिंता जताई कि पत्रकार की छवि आज एक ‘पॉवर ब्रोकर’ और ‘मिडलमैन’ की बन गई है। नीरा राडिया टेप प्रकरण का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्रत्येक नागरिक को यूं तो निजता (प्रायवेसी) का अधिकार है, लेकिन सामाजिक सरोकार और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं। ऐसे में गलती करने वालों के खिलाफ सबको आवाज उठानी चाहिए। हमें पहले अपने प्रोफेशन में सकारात्मक बदलाव लाना होगा, पत्रकारिता में भी इससे निश्चित रूप से बदलाव आएगा। आज हमारे बीच ऐसे बहुत से पत्रकार हैं जिनमें हम अपना रोल मॉडल ढूंढते हैं। इस पर भी हमें सोचना होगा कि हमारे रोल मॉडल कैसे हों।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने इस अवसर पर कहा कि पिछले 10 वर्षों में सम्पादक संस्था में जितना परिवर्तन हुआ है, इतना पहले कभी नहीं हुआ। सम्पादक को पहले योग्य, ईमानदार, ओजस्वी व सम्माननीय व्यक्ति के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब इसकी छवि धूमिल हो रही है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों के अलावा काफी संख्या में विद्यार्थी भी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र पॉल
सह प्राध्यापक
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल

1 comment:

डॉ. देवव्रत सिहं said...

ब्लॉग के लिए शुभकामनाएं....
मेरे विचार से हम मीडिया शिक्षकों को नये माध्यम की समझ का प्रसार करने में आपस में मदद करनी चाहिये। विशेषकर अधिकांश का इंटरनेट पर हिन्दी में काम करने का दिल तो करता है लेकिन कैसे किया जाये ये नहीं पता।