Thursday, September 18, 2008
यह ब्लॉग क्यों?
पत्रकारिता के क्षेत्र में दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की हो रही है। कभीपत्रकारिता को एक मिशन मानकर केवल क्रांतिकारी सोच वाले लोग ही पत्रकारिता को अपना ध्येय बनाते थे और फ़ाकामस्ती में अपनी पूरी उम्र गुज़ार देते थे। अभिभावक अपने बच्चों को पत्रकारिता जैसे अधिक जोखिम और कम पैसे वाले पेशे को अपनाने से रोकते थे। लेकिन सूचना क्रांति के इस दौर में पत्रकारिता एक बहुत प्रतिष्ठित व्यवसाय बन गया है। कभी 'झोलाछाप' जैसे शब्दों से नवाज़े जाने वाले पत्रकारों का आज पूरा हुलिया (बोले तो 'ले-आउट') ही बदल गया है।प्रसार संख्या में करोड़ों का आँकड़ा पार करते अखबारों के साथ-साथ खबरिया चैनलों की भी बीते कुछ वर्षों में भरमार हो गई है। ऐसे में मीडिया के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी कई गुणा बढ़ गए हैं। विद्यार्थियों में भी पत्रकारिता क्षेत्र में कूदने की होड़ सी मची है। ऐसे में न केवल देश के लगभग सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों व अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने अपने यहां पत्रकारिता के पाठ्यक्रम शुरू किए हैं, वहीं कुछ मीडिया हाउस भी अपने यहां प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाकर भावी पत्रकारों की नर्सरी तैयार करने में जुटे हैं।अभी तक पत्रकारिता से जुड़े विभिन्न विषयों की सामग्री का खासकर हिन्दी में सर्वथा अभाव है। ऐसे में इसी कमी को कुछ हद तक पूरा करने के लिए मैंने यह ब्लॉग बनाया है। इस ब्लॉग के पाठक इसमें बेहिचक अपना योगदान दे सकते हैं। आपसे आग्रह है कि रिपोर्टिंग, सम्पादन, सृजनात्मक लेखन, रेडियो और टीवी के लिए लेखन, फीचर लेखन, पत्रकारिता के विविध रूप (राजनीतिक, विधि, संसदीय, खेल, विज्ञान, साहित्यिक एवं साँस्कृतिक ) आदि पत्रकारिता से जुड़े विभिन्न विषय पर यदि आपके पास हिन्दी में कोई जानकारी या सामग्री उपलब्ध है तो कृपया उसे इस ब्लॉग पर पोस्ट करे दें, ताकि यह ब्लॉग पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित हो सके।
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1 comment:
naya blog shuru karne ke liye apko badhai. paryas achcha hai, hamari aur se bhai jo ban padega madad karne ke liye aatur rahenge.
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